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देवराज यमराज क्यों ढूंढे जा रहे है क्या कहीं देवासुर संग्राम होने वाला है ??
शतरंज में एक बात बड़ी अच्छी होती है, माहिर खिलाड़ी जो खेल खिलाता है वो दुसरे वाला खेलने को मजबूर हो जाता है और अंत में उस दुश्चक्र में फंस कर हार जाता है.
पिछले लोकसभा चुनावों में पिंक चड्ढी आन्दोलन कर महिला विरोधी लोगो को भाजपा से जोड़ दिया नतीजा भाजपा अपने शहरी मध्यमवर्ग वोटर से कट गयी. सलमान खुर्शीद की बात को नजरअंदाज़ कर दिया गया वहीं वरुण बोले नही की रासुका लग गयी मामला इतना उछला की यूपी में मुस्लिम वोट पोलराईस कर दिए गये ख़ास तौर पर पीलीभीत से लेकर बहराइच के तराई के इलाको में, इस बार मोदी को आगे करके लड़ाई लड़ी जा रही है. जब कांग्रेस प्रवक्ता कहते है की जो गुजरात में किया वो पूरे देश में करेंगे तो बहुत सोच कर कहा है. अपने दो दो नेताओ को 84 दंगो में कोर्ट के सुरक्षित किये फैसले की बाट जोह रही कांग्रेस जब मोदी को यमराज कहती है तो वो यूँ ही नही कहती. वे डर की राजनीति कर रहें है, जितना मोदी फोबिया खड़ा किया जा सकता है कांग्रेस खड़ा कर रही है.
नतीजतन भाजपा भी तिलमिला कर, बदले में मोदी का कद लगातार उंचा कर रही है, कांग्रेस जानती है की मोदी मोडरेट नही उनको अन्य लोगो का समर्थन नही मिलेगा. सो मोदी जितने मजबूत होंगे कांग्रेस की राह उतनी आसान हो जायेगी. इसी को माहिर खिलाड़ी होना कहते है, जिस जगह कांग्रेस उन्हें ले जाना चाहती है वे वही जा रहे है..
वरना राजनीती में कौन कितना देवराज है और कौन कितना यमराज ये सब जनता को पता है.
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